Sonia Jadhav

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मेरी अना- भाग 18

भाग- 18

घर का खाना भी साल में एक दिन मिले बोनस की तरह मिलता था। अना की तनख्वाह बढ़ती जा रही थी और अनिकेत की रेंग-रेंग कर बढ़ रही थी। साल पहले अना के पिता का बोया बीज अनिकेत के दिमाग में फलने-फूलने लगा था। कई बार उसने सीधे-सीधे ना कहकर अना को नौकरी बदलने की ओर इशारा किया था। बीच-बीच में बच्चे की चाह की आड़ में अना को प्यार से फुसलाने लगा था। लेकिन अना ने भी कह दिया था अनिकेत से…..यह सरकारी नौकरी नहीं है अनिकेत जो बुढ़ापे तक चलेगी। कुछ साल की बात है थोड़ा सब्र रख लो।

अगर तुम्हें मेरा समय चाहिए तो मुझे भी तुम्हारा समय चाहिए। मेरे नौकरी बदलने से क्या तुम समय पर घर आना शुरू कर दोगे?

अनिकेत के पास कोई जवाब नहीं था अना को देने के लिए। वैसे गलत तो अना भी नहीं थी। दोनों काम से ब्रेक लेकर कुछ दिनों के लिए मसूरी चले गए थे घूमने के लिए। मसूरी की खुली हवा में दोनों के जज्बात भी खुलकर मुस्कुराने लगे थे। वक़्त कट नहीं रहा था, एक दूसरे के साथ गुज़र रहा था। दोनों ही एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे लेकिन शादी में सिर्फ प्यार ही नहीं एक दूसरे से कई तरह की अपेक्षाएँ भी होती हैं, जो समय पर पूरी ना हो तो मन खिन्न होने लगता है।

मसूरी से वापिस आने के बाद फिर से वही दिनचर्या शुरू हो गयी थी। लेकिन इस बार अना नहीं चाहती थी कि उनके बीच ज़रा सा भी मनमुटाव हो। वो अनिकेत का पहले से ज्यादा ख्याल रखने लगी थी। समय मिलते ही अनिकेत को फोन करना, उसके करीब रहना, अपना सारा वक़्त उसने अनिकेत को दे दिया था।

अना के प्यार और परवाह से अनिकेत भी खुश था और उसने नौकरी छोड़ने वाली बात पर अना से माफ़ी भी मांग ली थी। अना ने उसके गले में बाँहें डालते हुए एक ही बात कही……..मेरी जिंदगी में कुछ सबसे अहम है तो वो तुम हो अनिकेत। तुम्हारी हर गलती माफ़ है बस एक गलती कभी माफ नहीं करुँगी।
अनिकेत ने मुस्कुराते हुए पूछा…..मेरी कौन सी गलती माफ़ नहीं करेगी मेरी अना, ज़रा सुनूँ तो….
तुम्हारा किसी और के प्रति आकर्षण। मैं तुम्हें कभी भी किसी और के साथ देख नहीं सकती अनिकेत। आजकल बहुत पोसेसिव महसूस कर रही हूँ तुम्हें लेकर। निशा भी जब कभी तुम्हारी तारीफ करती है तो पता नहीं क्यों मुझे उससे चिढ़ सी होने लगती है।

पागल हो तुम अना….ऐसा ख्याल आया भी कैसे तुम्हारे दिमाग में? तुम्हारे सिवा ना कभी कोई था, ना होगा। अना से ही तो अनिकेत है। माना कभी-कभी मैं तुम पर गुस्सा करता हूँ लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि मेरे दिल में तुम्हारे लिए जो प्यार है उसमें कोई कमी आयी है। हक है लड़ने का, तुमसे नाराज होने का। तुम मेरी अना थी, हो और हमेशा रहोगी। तुम छोड़कर जा सकती हो मुझे लेकिन मैं कभी तुम्हें छोड़कर नहीं जाऊंगा अना।

अना अनिकेत के सीने से लग जाती है। निशा का नाम सुनते ही अनिकेत को याद आता है कि निशा ने कभी कुछ गलत कहा या किया तो नहीं है लेकिन उसकी ऊर्जा ना जाने क्यों कुछ असहज सा महसूस करवाती है। यह सब उसने अना से कभी कहा नहीं क्योंकि इस एहसास के पीछे कोई ठोस वजह नहीं थी।

अनिकेत काम के सिलसिले में कुछ दिनों के लिए बाहर गया हुआ था। निशा को दिल्ली में एक दिन का ब्रेक मिला था, अना ने उसे घर बुला लिया रुकने के लिए, वैसे भी अनिकेत घर पर नहीं था तो अना ने सोचा रात को निशा के साथ क्यों ना पाजामा पार्टी की जाए। अना और निशा कॉफी पर कॉफी पिए जा रहे थे और साथ में उनकी बातें भी चल रही थी। अना भावनाओं में बहकर निशा को अपने और अनिकेत के रिश्ते के बारे में सब बतायी जा रही थी।

निशा के दिल में अनिकेत चुपके से अनिकेत दस्तक दे चुका था। सामने दीवार पर लगे अनिकेत और अना की तस्वीर को देखकर उसका मन बार-बार कह रहा था काश! अना की जगह वो होती अनिकेत के साथ तो कितना अच्छा होता।

निशा और अना की बातें चल ही रही थी कि तभी दरवाज़े पर घँटी बजी। अना ने जैसे ही दरवाजा खोला तो अनिकेत खड़ा था। उसने झट से अना को गले से लगा लिया और कहा…..सरप्राइज। लेकिन निशा को यूँ उन्हें सामने से घूरता देख वो सरप्राइज हो गया। अना ने खुद को अनिकेत से अलग करते हुए निशा से मिलवाया।
अना और निशा की पार्टी अधूरी रह गयी। अना निशा को सोफे पर सोने के लिए छोड़कर अनिकेत के साथ अपने कमरे में चली गयी। अना के बैडरूम की लाइट बंद हो चुकी थी लेकिन उनके कमरे से हँसने की, बात करने की आवाजें आ रही थी।

निशा महसूस कर पा रही थी अनिकेत के मन में अना के लिए प्यार। उसे अपनी जिंदगी में अनिकेत जैसे शख्स की कमी आज बेहद महसूस हो रही थी। जिसके साथ वो रिश्ते में थी उसमें वो बात नहीं थी जो अनिकेत में थी। अनिकेत के मन में अना के लिए प्यार और परवाह थी और साथ ही वो उसका सबसे अच्छा दोस्त भी था। निशा का दिल और दिमाग ना चाहते हुए भी अलग दिशा में जा रहा था। दिमाग इसे गलत कह रहा था और दिल प्यार की दुहाई दे रहा था।

निशा के दिल में जो था इस समय यकीनन वो प्यार नहीं था, कुछ था जो प्यार के बहाव से भी ज़्यादा तीव्र था, वो था दैहिक और मानसिक आकर्षण जो अनिकेत की तरफ उसे बहाकर ले जा रहा था। उसे अच्छी तरह से पता था वो अनिकेत के दिल में अपनी जगह कभी नहीं बना पायेगी। लेकिन उसे अनिकेत का साथ चाहिए था, जैसे भी जितना भी मिले, फिर वो चाहे कुछ पल के लिए ही सही।


निशा अक्सर अनिकेत के घर जाने लगी थी कभी उसकी मौजूदगी में, कभी गैर मौजूदगी में। अना को लगता था निशा और उसके बीच की दोस्ती गहरी हो रही है लेकिन सच कुछ और था। अनिकेत की गैरमौजूदगी में अक्सर वो अना के साथ उसके बिस्तर पर सोती थी और रातभर उस बिस्तर में अनिकेत को तलाशा करती थी।

अनिकेत निशा की उपस्थिति में खुद को बड़ा असहज महसूस करने लगा था। यूँ तो निशा के साथ औपचारिक बातचीत के अलावा कभी कोई बात नहीं हुई थी लेकिन कुछ तो था अलग जो अनिकेत को असहज महसूस करवा रहा  था। ऐसे ही उसने अना से एक दिन मज़ाक में कहा…. ये निशा कुछ ज़्यादा घर नहीं आने लगी है आजकल, अगर उसने तुम्हारे अनिकेत को फसा लिया तो?
अना हँसते हुए कहती है…. वो तो तुमसे बात भी नहीं करती, वो कैसे फसायगी तुम्हें? और वैसे भी उसका बॉयफ्रेंड है तो तुम्हें फसाने का तो कोई मतलब ही नहीं है।

अना ने अनिकेत के गले में बाँहें डालते हुए कहा था ........बहकाने वालों की दुनिया में कमी नहीं है लेकिन बहकना है कि नहीं यह हम पर निर्भर करता है अनिकेत। अब ऐसे फालतू के मज़ाक मत करना।

अनिकेत को डर था आज अना जिसे मज़ाक समझ रही है ,कहीं वो किसी दिन सच ना हो जाए।

अनिकेत और अना घर से ज्यादा बाहर वक़्त गुजारते थे अपने-अपने काम के कारण । अना और उसके बीच अक्सर अत्याधिक व्यस्तता को लेकर झगड़े होते रहते थे, जो बाद में सुलझ भी जाते थे। अनिकेत कहता तो नहीं था लेकिन मन में यह विचार चलता रहता था…. काश! अना एयरहोस्टेस ना होकर कुछ और होती। 

❤सोनिया जाधव

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3 Comments

Bahut khoob

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Arshi khan

03-Mar-2022 10:26 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

03-Mar-2022 05:01 PM

बहुत अच्छा भाग

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